ABHIJIT RANJAN

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मै विजेता हूं

मैं विजेता हूं
लंबी दौड़ हैं
लंबी छलांग लगाता हूं।

एक मीटर से लेकर
दो हजार मीटर तक जाता हूं।

मेहनत का पसीना हैं
लाखो में एक नगीना हैं
हारी हुई बाज़ी जीतें हैं
एक बूंद कतरा पीते हैं।

शिखर के पटल पे
दौड़ नहीं लगाता हूं
धीरे धीरे मंज़िल की ओर
क़दम बढ़ाता हूं।

उम्मीदों की धरती हैं
सपनों का बलिदान हैं
मेरे सीने में अभिमान हैं।

आकाश की परछाई हैं
या स्वर्ग की इकाई हैं
ये मन की चतुराई हैं।

नीला आसमां हैं
नीला पानी हैं
ये मंज़िल जानी पहचानी हैं।।

      अभिजीत रंजन


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1 Comments

Aliya khan

21-Jul-2021 07:45 AM

बेहतरीन 👏👏👏👏

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